Saturday, May 22, 2010

मुझको जैसे आदात सी पड़ गई तेरी...

मुझको जैसे आदात सी पड़ गई तेरी...
सुबह उठाता हूँ तो देखता हूँ सूरत तेरी...

तेरा हँसता हुआ चेहरा मेरे दिन भर कि ताजगी है...
मेरी आखों में बसी है मूरत तेरी...

मैं जब भी सोचता हूँ तेरे बारे में...
पलटता हूँ वो किताब जिसमे तस्वीर तेरी...

मेरे अपने तेरा मेरा रिश्ता पूछते है कभी...
मैं भी कह देता हूँ मैं जिस्म हूँ वो जान मेरी...

बस कहानी यंही पर आकर थम गई है...
हुआ में तेरा हुई तू मेरी...

मुझको जैसे आदात सी पड़ गई तेरी...
सुबह उठाता हूँ तो देखता हूँ सूरत तेरी..

Tuesday, May 18, 2010

खोफ नाक मंजर...

मैं क्या कहूँ जब भी याद आता है वो मंजर तो सिर सर्म से छुक जाता है और हर बार दिल यही सवाल करता है कि क्या इंसान के अंदर का इंसान मर चूका है क्या इंसानियत का सुपूर्त--खाक हो चुकी है क्योंकि अगर आप भी उस दिन कि घटना के बारे में सुनेगे तो आपको भी येही सवाल उठायेंगे... बात आज से ठीक एक सप्ताह पहले कि है... यानि कि १२ मई कि वक्त था शाम के पांच बजे का... और जगह राजधानी का बैरन बाज़ार इलाका... एक सख्स जिसका नाम नागराज था जो पेशे से धोबी था... उसने खुद पर केरोसिन का तेल डालकर आग लगा ली॥ घर के अन्दर जब उसने आग लगाई तो वो ५० फीसदी तो अंदर ही जल चूका था और उसके बाद वो दोड़ता हुआ बाहर निकला जिसने भी उस मंजर को देखा तो उसकी आंखे फटी कि फटी रह गई... अगर आप कि उस बक्त बांह पर होते तो आपकी भी रूह कांप उठती ... पर सब लोग तमाशबीन बनकर तमाशा देखने में लगे हुए थे पर किसी ने उस जलते हुए इन्सान को बचाने कि कोशिश भी नहीं कि... पर भला हो उस उन्जान व्यक्ति का जिसने पुलिस को फ़ोन कर दिया कोतवाली थाने का स्टाफ बन्हा पर पंहुच पर जनाव वे भी कुछ नहीं कर सके क्योंकि उन्हें उस जलते हुए नागराज के जलने कि बू आ रही थी कोई मुह पर रुमाल बांध रहा था तो कोई पुलिसवाला दूर भाग रहा था पर वाह रे हम इंसान कोई उसे बचाने कि लिए आगे नहीं आया... पर जब इसकी जानकारी मीडिया को लगी और वो बन्हा पर पहुची तो वो मंजर और इन्सान कि इंसानियत का कला चेहरा कैमरे में कद हो गया... मीडिया ने पुलिस को समझाया और जब वो नहीं समझे तो फिर मुझे जैसे खुद आगे आना पड़ा... क्योंकि अगर में आगे नहीं आता तो सायद बहुत देर हो गई होती... पर आपको बता दे कि देर तो हो चुकी थी.... क्योंकि नागराज बन्हा पर पड़े हुए तड़फ रहा था... उस भयानक मंजर को आप इस तस्वीर में देख सकते है... पर बाह रे पुलिस और उससे भी ज्यादा सर्म हम इन्सान को करना चाहिए जो खुद को पड़ा लिखा और समझदार बताते है...
आपको बताऊँ कि उस घटना कि जानकारी लगते ही मैंने सिटी एसपी सहित सीएसपी को फ़ोन लगाया पर सब के सब सीएम के प्रोग्रामे में लगे हए थे... जनता जो तड़फ रही है उससे ज्यादा मंत्रियों कि ड्यूटी बजाने में इन्हें अपना सही फर्ज नजर आता है... पर उसके बाद हमने उसे अम्बुलेंस में डाल कर आंबेडकर पहुचाया पर बन्हा पर वो मर चूका था... आपको बता दे कि जब कोतवाली थाने को इसकी जानकारी दी गई थी कि एक व्यक्ति ने आग लगा ली है तो थाने से निकलने से पहले अन्बुलांस को खबर कर देनी चाहिए... ताकि बक्त रहते वो बन्हा पर पहुच जाये... पर जनाब एएसई साहब ने मोके पर पंहुचकर अमबुलंस को फ़ोन किया... आप पुलिसवालों कि कार्यप्रणाली के बारे में समझ सकते है... वो भी राजधानी पुलिस जिस हर पर मुस्तेद रहना चाहिए॥ पर इनका क्या है ए तो सोते रहते है... शहर में लूट, चोरी,डकैती जैसी वारदाते आम हो गई है... हत्याए तो मानो छोटी छोटी बातो पर कर दी जा रही है... अपराधियों पर पुलिस का कोई भय नहीं रह गया है... अच्छा हुआ कि मीडिया बन्हा पर वक्त रहते पहुँच गई वर्ना पुलिस का चेहरे और बन्हा पर खड़े इंसान रूपी बुजदिल लोगो कि सक्ले कैसे सामने आती...
यंहा पर इतना कहना जरुरी है कि आज हमें आपने को सुधारना होगा क्योंकि आज नागराज के परिवार पर ए कहर टुटा है खुदा न करे कल को तुम्हारे साथ एसा कुछ घटे तो क्या होगा इसका अभी से एहसास करना जरुरी है... आपको बताऊ कि उस जगह पर करीब २०० से ज्यादा लोग थे पर किसी ने एक कदम भी आगे नहीं बढाया कि उस जलते हुए नागराज को हॉस्पिटल तक पहुचाया जा सके... देश में ए पहेली घटना नहीं है... इससे पहले भी इससे कंही भयानक तस्वीरे सामने आ चुकी है पर समझ नहीं आता कि क्यों जनता मूक दर्शक बड़े सिर्फ तमाशा देखती रहते है... क्यों वो अपनी नेतिक जिम्मेदारी नहीं समझती... कब तक पुलिस मोके पर पहुचेगी और कब सख्स को अस्पताल पहुचाया जायेगा... अगर नागराज को बक्त रहते अस्पताल पहुच्या जाता तो सायद वो बच जाता... पर इस धरती पर किसे किसकी फिक्र है... सब अपनी मस्ती में मस्त है... पर क्या येही इन्सनियता है इससे अच्छे तो जानवर है जो अपने साथी कि जान बचाने के लिए मौत को भी गले लगा लेते है... जरा हमें उनसे कुछ सिखने कि जरुरत है... जल्द सिख जाये तो बेहतर रहेगा...

Monday, May 17, 2010

नक्सालियों का एक और वार...

नक्सालियों ने एक बार फिर ब्लास्ट कर पुरे देश को झाग्झोर दिया... सुकमा दंतेवाडा मार्ग पर हुए इस हमले से जन्हा राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक के पैरो तले जमीं खिशक गई तो दूसरी तरफ अब आम जनता कि सुरक्षा पर हुआ ये नक्सल हमला इस बात कि चेतावनी दे गया कि अब जनता भी उनके निशाने पर हैआज शाम करीब बजे खबर आई कि नक्सालियों ने एक बस को उड़ा दिया है... जिसमे ६० लोग सवार थे जिसमे एसपी भी बैठे हुए थे... नक्सालियों का मैं टार्गेट वे ही थे क्योंकि नाक्साली उनके दुश्मन यानि कि पुलिस बालों का साथ देने वालों को कभी छोड़ते नहीं..... पर नाक्सालिओं ने आज जो किया अगर इस हमले के बाद भी दोनों सरकारों कि नीद नहीं टूटी तो ये मान लीजिये कि देश का और उन निर्दोषों का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा...
घटना के तुरंत बाद निंदा से उत्प्रोत वयान आने शुरू हो गए... किसी ने से नक्सालियों कि कायराना हरकत करार दिया तो कोई इसे नक्सालियों कि बोखलाहट बताने में लगा हुआ था... प्रदेश के गृहमंत्री ने यंहा तक कह दिया कि अब उनका अंतिम समय आ गया है...... हलाकि ननकी राम कवर इस तरह कि बाते हर वार करते है... पर ये भूल जाते है कि न तो वे न उनकी सेना नक्सालियों का कुछ भी नहीं बिगाड़ पी है॥ आपको बता दे कि पिछले ४५ दिनों के अन्दर ये नक्सालियों के द्वारा किया गया तीसरा सबसे बड़ा हमला है... वो भी राजमार्ग जैसी सड़क पर... आज इस घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा है कि उसी रास्ते से एसपी गुजरे थे और दो पुलिस के वाहन और इस वाहन में सवार थे एसपीओ जिन्हें मारने के लिए ये पूरा चक्र्वुय रचा गया था... आपको बता दे कि डॉक्टर सिंह ने ३५ लोगो के मारे जाने कि पुष्टि कर दी है... पर ये संखिया और बढ सकती है...
आखिरकार ये हमले होते कैसे है... आपको बता दे कि नाक्साली कई कई दिनों तक पुरे इलाके का मुआयेना करते है... और ये कोशिश करते है कि लैंड मांइड एसी जगह फिट किया जाये जो ज्यादा नुकसान कर सके... सड़क पर लैंड मैंड लंगाने के लिए सड़क को खोदना उसमे लैंड मैन्स लगाना और उसके तार को कई मीटर दूर ले जाना और उस घडी का इन्तेजार करना जब जवानो का वाहन उस रास्ते से गुजरे... और फिर दोनों तारो को मिला देना एसे होता है ब्लास्ट... पर आज स्थिति बहुत ही भयाबक हो चुकी है... इसके लिए सेना उतरनी ही होगी बरना वो दिन दूर नहीं जब पुरे राज्य पर नक्सालियों का राज्य स्थापित हो जायेगा... और जो वे चाहते है... पर अभी भी राज्य सरकार गंभीर नहीं है... पर इतना जरुर है कि आज कि घटना के बाद ननकी राम कवर और डॉक्टर रमन सिंह के माथे पर चिंता के बादल दिखाई दे रहे थे... और कल रमन सिंह तो दिल्ली जा रहे है... आला नेताओ से मिलने... हो सकता है कि कुछ हल निकलने के लिए बात आगे बड़े बरना ये तो निंदा और कायराना हरकत के आलावा और कुछ भी नहीं कह सकते...
चलिए देखते है कि दिल्ली में जाकर क्या गुल खिलता है या फिर बनही वयान कि अभी सेना उतरने कि जरुरत नहीं है... मैं एसे कहूँ कि अभी सेना उतंरने कि जरुरत नहीं है कुछ और ज्यादा लोगो को एक साथ मरने दो...

Thursday, May 13, 2010

क्यों चला है वो मेरा कल बताने...

खुद को नहीं पता क्या होगा भविष्य उसका...
क्यों चला है वो मेरा कल बताने...
कोई नहीं जनता ये कल का खेल क्या है.............
बिगड़ जाता है वर्तमान जो लगा मैं कल बनाने...


सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है...
दूर तक सोचना बिलकुल सही है......
देखना और सोचना आँखे खोलकर तुम...
जो टुटा सपना एक बार तो बड़ा मुस्किल है नया फिर बनाने...


चादर के अन्दर पैर हो तो ही भला है...
बाहर निकले तो तू हाथ फेलाए खड़ा है...
अन्दर बाहर में से तू अन्दर को ही चुनना...
रहेगा सुकून हर पर तो नहीं होगी मुस्किल नया घर बनाने...





Sunday, May 9, 2010

धरती पर खुदा है माँ...

दुनिया... और इस दुनिया में इन्सान का जन्म किसी किसी नारी कि कोख से हुआ होगा... यानि कि बिना किसी तर्क वितर्क के हमें स्वीकारना होगा कि माँ धरती पर खुदा का रूप है..... या मैं ये कहूँ कि माँ ही भगवान है तो कुछ भी गलत नहीं होगा... में बचपन से जितना पिता के करीब नहीं था उतना माँ के करीब रहाक्योंकि मुझे क्या हर सक्श को येही लगता होगा कि वो माँ से उन सब चीजो को सेयर कर सकते है जो वे पिता से नहीं कह सकते... क्योंकि माँ हर बक्त बच्चे के साथ रहती है वो पिता नोकरी पर चले जाते है... मेरे पिता पुलिस विभाग में कार्ररत है... पुलिसवालों कि नोकरी का कोई ठिकाना ही नहीं कब आते है कब जाते है पता नहीं... हम जब स्कुल कालेज में थे तो रात में पिता जी के आने के पहले सो जाया करते थे और सुबह उनके नोकरी पर जाने के बाद उठा करते थे एसे में उनसे मिल पाना ही मुस्किल हुआ करता था... जब कभी जल्दी आते तो यंहा वहा कि बैटन में समय ही बीत जाता था... अगर कंही से कुछ लड़ाई झगडे कि सिकायत पापा के पास आती तो माँ के आचल का सहारा लेकर खड़े हो जाते पिता जी से माँ ही निपटती हमें आगे आने कि जरुरत नहीं पड़ती... एसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि माँ हर कदम पर मेरे साथ थी...
दिन बीतते गए और मैं धीरे धीरे बड़ा होता गया... एनसीसी में था तो कई बार बाहर जाना पड़ता था तो माँ पिताजी,दादी और छोटी बहिन घर पर ही रहते पर माँ से एसा एक भी दिन नहीं गुजरता जब उससे फ़ोन पर बात नहीं करता हूँ... उससे दो तीन मिनिट ही बात हो जाती तो मानो फिर से एक उमंग सी जग जाती जैसे किसी ने फिर से उर्जा शारीर में भर दी हो... आज में इ टीवी में जॉब करता हूँ... अपने घर से बहुत दूर...मेरा घर जबलपुर के पास बरेला मंडला रोड पर पड़ता है... ३ महीने पहले छोटी बहिन कि शादी हो गई अब तो माँ एक दम अकेले हो गई है... पिता जी नोकरी पर चले जाते है और दादी छोटे चाचा लोगे के यंहा पर... मेरी माँ घर पर अकेली पड़ जाती है... मैं उससे तीन महीने हो गये नहीं मिला हूँ... पर फ़ोन के जरिये उससे मुलाकात हो जाती है... वो रोज पूछती है कि खाना खाया दोपहर में टिफिन खाया कि नहीं... घर कब निकलेगा... जरा सोचो उसे अपने कलेजे के टुकड़े का कितना खियाल है... एसी होती है माँ... दुनिया में माँ कि तुलना करना तो छोडिये उस बारे में सोचना भी गलत है... आज माँ के चेहरे पर ख़ुशी है क्योंकि उसका बेटा कमाने खाने लगा है... पर उससे चिंता भी हर पल कि मेरे सोने से लेकर खाने कि मेरे कपडे से लेकर मेरे रहने कि... पर यंहा पर ये जरुर कहना जरुरी है कि पिता जी भी माँ के सामान मेरी जिन्दगी है... क्योंकि इन दोनों के आशीर्बाद से ही में आज यहाँ पर हूँ... मुझे वो दिन आज भी याद है कि जब तक में घर पर था तो कभी मुझे अपने कपडे धोने नहीं दिया... मुझे खाई थाली उठाने नहीं दी... यंहा ता कि जब में कभी चादर ओड़े सो जाता था और बाजु में टेप बजा करता था तो वो कभी नहीं कहती थी कि टेप क्यों चल रहा है... लाइट क्यों जल रही है... उसने मुझे कभी लिखने और पड़ने के लिए कभी नहीं चिल्लाया... और वो सदा मेरा फेवर करती है... पर आज मैं उससे दूर हूँ तो हर पर उसकी याद आती है... कभी कभी वो पापा से मेरे कारण लड़ाई भी कर लिया करती थी... दुनिया कितनी भी बदल जाये पर माँ का रूप नहीं बदल सकता यहाँ तक कि माँ माँ ही रहेगी कुमाता नहीं होगी... बेटा भले ही कपूत हो जाये...
,,, आज माँ का दिन है दुनिया कि हर माँ को मेरा प्रणाम,,,
...तेरा आशिर्बाद सदा हम पर बना रहे...

Saturday, May 8, 2010

सोते रहोगे तो लूट जायेगा देश...

एक बार फिर नक्सालियों ने कायराना हरकत करते हुए... अपने इरादे साफ कर दिए..... बीजापुर के तोड्पाल में आज शाम करीब .३० बजे जब जवान राशन ले जा रहे थे तभी उनकी गाड़ी को नक्सालियों ने उड़ा दिया...जिसमे जवानो कि मौत हो गई..... जबकि कई जवान घायल हो गये... घटना कि जानकारी लगते ही पुरे छग में हडकंप मच गया... तो दूसरी तरफ पुलिस और सीआरपीएफ दोनों ही डिपार्टमेंट में खलवली मच गई...सीआरपीएफ कि १६८ बटालियन के ये जवान राशन लेकर लौट रहे थे... नक्सालियों द्वारा किया गया ये हमला ये दर्शाता है कि शांति के नाम पर कि जा रही यात्रा उन्हें मंजूर नहीं है... देश के सभी बड़े बुद्धिजीवी एक मंच पर खड़े होकर बोल रहे थे कि नाक्साली हथियार डाल देंगे अगर सरकार अपने ग्रीन्हांट ऑपरेशन को बंद करे... उनका कहना था कि बो नक्सालियों से बात करेंगे... पर लगता है कि ये सारा कुछ एक दिखाबा है क्योंकि इन बुद्धिजीवियों को क्या ये नहीं पता कि... नाक्साली बात करने को तैयार नहीं ये सिर्फ मरना और मारना जानते है... एसे में अगर ये बुद्धिजीवी सरकार पर दबाब बनाते है तो ये साफ़ दर्शाता है कि बुद्धिजीवी नक्सल समर्थक से ज्यादा और कुछ नहीं... या फिर ये देश के सामने मीडिया के जरिये परचलित होना चाहते है... नक्सालियों का ये हमला ठीक उस बक्त हुआ है जब बुधिजीविओं का दल दंतेवाडा के दौर पर है...
नक्सालियों कि आज कि इस हरकत को कोई भी बुजदिल भरी कार्रवाई कह सकता है पर इसे नक्सालियों के लिए कामयाबी और हमारे देश के लिए एक और बड़ी बिफलता से ज्यादा कुछ और नहीं... आज प्रदेश के गृह मंत्री ने केंद्र सरकार से सेना कि मांग तक कर डाली ये साबुत है इस बात का कि अब नक्सलबाद को रोकना या नाक्साली गतिविधियों को रकना इनके बस कि बात नहीं है... बन्ही नक्सालियों ने साफ़ संकेत दिए है कि वे बन्दुक डालने बालो में से नहीं है... और लगातार जवानो को मारते रहेंगे... आज कि घटना के बाद भी अगर सरकारों कि नीद नहीं खुलती है तो ये देश के लिए किसी दाग से कम नहीं कि दुश्मन लाशे बिछा रहा है और हम लाशों कि गिनती में लगे हुए है... ये कहानी सिर्फ और सिर्फ आज शहीद हुए आठ जवानो कि नहीं है बल्कि अब तक शहीद जवानो कि है... जो देश कि सरकार से इस बात कि इल्तजा कर रहे है कि उनकी रूह को शांति दिला दो... इस नक्सलबाद को जड़ से समाप्त कर दो... ताकि कोई और शहीद न हो... और ये नेता और एसी में बैठे लोग क्या समझे कि दर्द क्या होता है... बन्ही प्रदेश कि डीजीपी का कहना है कि हमें जबावी कार्रवाही के लिए तैयार रहना चाहिए......
पर आखिर हम कब देंगे जवाब तब जब ८ नहीं ३२ नहीं ७६ नहीं संखिया सेकड़ो पर कर जायेगे तब भेजेगो सेना..... तब तक इतनी दे हो जाएगी कि लड़ने के जवाब कम पड़ जायेंगे... क्योंकि देश में जवाब रोजाना मरे जा रहे है एसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अब बक्त आ गया है कि नक्सालियों का सफाया कर दिया जाये... बरना ये नाशुर इतना बढ जायेगा कि शारीर के कई अंगो में जहर घोल देगा... मुझे नहीं लगता है कि इंडियन लीडर्स में ये ताकत है कि वो इंदिरा गाँधी जैसा वोल्ड स्टेप उठा सके..क्योंकि उसके लिए पहले देश हित सोचना होगा फिर अपना व्यक्तिगत हित... आज के नेता सिर्फ अपनी दुकान चलते है ... उन्हें इससे क्या कि देश में क्या होना चाहिए क्या नहीं... नक्सल समस्या आज कि नहीं है... आप खुद सोचिये कि हमने इसे कितनी इज्जत के साथ पाला है... क्या देश के नेताओ को उस बक्त समझ नहीं आया कि ये आने वाले दशकों में देश के लिए नाशुर बन जाएगी... अगर नहीं सोच तो ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें ये विरासत उनसे मिली... जिनमे दूर तक सोचने और देखने कि शक्ति ही नहीं थी...
मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगा कि अब भी बक्त है नीद तोड़ के जाग जाओ बरना ये नाक्साली आपकी राजधानी में अगर हमला न कर दे तो कहियेगा..
एक बार फिर नक्सालियों ने कायराना हरकत करते हुए... अपने इरादे साफ कर दिए..... बीजापुर के तोड्पाल में आज शाम करीब .३० बजे जब जवान राशन ले जा रहे थे तभी उनकी गाड़ी को नक्सालियों ने उड़ा दिया...जिसमे जवानो कि मौत हो गई..... जबकि कई जवान घायल हो गये... घटना कि जानकारी लगते ही पुरे छग में हडकंप मच गया... तो दूसरी तरफ पुलिस और सीआरपीएफ दोनों ही डिपार्टमेंट में खलवली मच गई...सीआरपीएफ कि १६८ बटालियन के ये जवान राशन लेकर लौट रहे थे... नक्सालियों द्वारा किया गया ये हमला ये दर्शाता है कि शांति के नाम पर कि जा रही यात्रा उन्हें मंजूर नहीं है... देश के सभी बड़े बुद्धिजीवी एक मंच पर खड़े होकर बोल रहे थे कि नाक्साली हथियार डाल देंगे अगर सरकार अपने ग्रीन्हांट ऑपरेशन को बंद करे... उनका कहना था कि बो नक्सालियों से बात करेंगे... पर लगता है कि ये सारा कुछ एक दिखाबा है क्योंकि इन बुद्धिजीवियों को क्या ये नहीं पता कि... नाक्साली बात करने को तैयार नहीं ये सिर्फ मरना और मारना जानते है... एसे में अगर ये बुद्धिजीवी सरकार पर दबाब बनाते है तो ये साफ़ दर्शाता है कि बुद्धिजीवी नक्सल समर्थक से ज्यादा और कुछ नहीं... या फिर ये देश के सामने मीडिया के जरिये परचलित होना चाहते है... नक्सालियों का ये हमला ठीक उस बक्त हुआ है जब बुधिजीविओं का दल दंतेवाडा के दौर पर है...
नक्सालियों कि आज कि इस हरकत को कोई भी बुजदिल भरी कार्रवाई कह सकता है पर इसे नक्सालियों के लिए कामयाबी और हमारे देश के लिए एक और बड़ी बिफलता से ज्यादा कुछ और नहीं... आज प्रदेश के गृह मंत्री ने केंद्र सरकार से सेना कि मांग तक कर डाली ये साबुत है इस बात का कि अब नक्सलबाद को रोकना या नाक्साली गतिविधियों को रकना इनके बस कि बात नहीं है... बन्ही नक्सालियों ने साफ़ संकेत दिए है कि वे बन्दुक डालने बालो में से नहीं है... और लगातार जवानो को मारते रहेंगे... आज कि घटना के बाद भी अगर सरकारों कि नीद नहीं खुलती है तो ये देश के लिए किसी दाग से कम नहीं कि दुश्मन लाशे बिछा रहा है और हम लाशों कि गिनती में लगे हुए है... ये कहानी सिर्फ और सिर्फ आज शहीद हुए आठ जवानो कि नहीं है बल्कि अब तक शहीद जवानो कि है... जो देश कि सरकार से इस बात कि इल्तजा कर रहे है कि उनकी रूह को शांति दिला दो... इस नक्सलबाद को जड़ से समाप्त कर दो... ताकि कोई और शहीद न हो... और ये नेता और एसी में बैठे लोग क्या समझे कि दर्द क्या होता है... बन्ही प्रदेश कि डीजीपी का कहना है कि हमें जबावी कार्रवाही के लिए तैयार रहना चाहिए......
पर आखिर हम कब देंगे जवाब तब जब ८ नहीं ३२ नहीं ७६ नहीं संखिया सेकड़ो पर कर जायेगे तब भेजेगो सेना..... तब तक इतनी दे हो जाएगी कि लड़ने के जवाब कम पड़ जायेंगे... क्योंकि देश में जवाब रोजाना मरे जा रहे है एसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अब बक्त आ गया है कि नक्सालियों का सफाया कर दिया जाये... बरना ये नाशुर इतना बढ जायेगा कि शारीर के कई अंगो में जहर घोल देगा... मुझे नहीं लगता है कि इंडियन लीडर्स में ये ताकत है कि वो इंदिरा गाँधी जैसा वोल्ड स्टेप उठा सके..क्योंकि उसके लिए पहले देश हित सोचना होगा फिर अपना व्यक्तिगत हित... आज के नेता सिर्फ अपनी दुकान चलते है ... उन्हें इससे क्या कि देश में क्या होना चाहिए क्या नहीं... नक्सल समस्या आज कि नहीं है... आप खुद सोचिये कि हमने इसे कितनी इज्जत के साथ पाला है... क्या देश के नेताओ को उस बक्त समझ नहीं आया कि ये आने वाले दशकों में देश के लिए नाशुर बन जाएगी... अगर नहीं सोच तो ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें ये विरासत उनसे मिली... जिनमे दूर तक सोचने और देखने कि शक्ति ही नहीं थी...
मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगा कि अब भी बक्त है नीद तोड़ के जाग जाओ बरना ये नाक्साली आपकी राजधानी में अगर हमला न कर दे तो कहियेगा...



Sunday, May 2, 2010

नक्सल गद के साथ साथ आतंक का नया अड्डा...

अभी तक हम कहते रहे थे कि नक्सल बाद छातीशगढ़ में अपनी पैठ बना चूका है पर आज राजधानी में जो हुआ उसे देखकर ये कहना अब बेहद ही जरुरी हो गया है कि नक्सलबाद के साथ साथ अब ये आतंक के निशाने पर है...... आज पंजाब पुलिस और रायपुर पुलिस कि संयुक्त कार्रवाई ने इस बात का खुलासा कि या कि आतंकबादी बब्बर खालसा आतंकबादी संगठन का सदस्य है... और बर्तमान में रायपुर के देवेन्द्र नगर के पास फोकट्पारा में अपने एक दोस्त के घर में करीब पांच दिनों से रह रहा था... ये तो पंजाब पुलिस कि सक्रियता का नतीजा है कि उसने इस खूखार आतंकबादी कि गिरफ्तार का लिया... सबसे पहले टीवी ने इस खबर को फ्लेस किया था... कि आतंकबादी कि गिरफ्तारी हुई है और बो बब्बर खालसा का भगोड़ा आतंकबादी है... जिसकी पंजाब पुलिस को काफी लम्बे समय से तलाश थी...
निर्मल सिंह उर्फ़ निम्माँ नाम का ये आतंकबादी रायपुर में जिस घर में रह रहा था वो घर है पप्पू पड्डा का... पप्पू ने निर्मल का साथ दिया... पुलिस का ये कहना है... आपको बात दे कि इ टीवी कि टीम ने सबसे पहले उस घर को खोज निकला जो घर पप्पू पड्डा का है... उस घर में निर्मल पिछले चार दिनों से रह रहा था... आपको बता दे कि पोइल्स ने पप्पू को भी गिरफ्तार का लिया है॥ और पूछताछ कर रही है मिली जानकारी के मुताबिक पप्पू से निर्मल के संबध बीते १५ सालों से है... और निर्मल का उसके घर आना जाना लगा रहता था... जानकारी तो ये भी है कि निर्मल करीब दो से तीन बार आ चूका है... फिलहाल पंजाब पुलिस के आला अधिकारी रायपुर पहुच चुके है और आतंकबादी को पंजाब ले जाने कि तयारियों में जुट गए है... पर रायपुर में इस खबर ने हडकंप मचा दिया है... क्योंकि अभी तक हम सिर्फ नक्सलबाद से जूझ रहे थे पर आतंकबादी कि गिरफ्तारी ने ये साबित कर दिया है कि अब आतंकबादी का अगला ठिकाना रायपुर है... हालाकि रायपुर पुलिस यंहा तक कि छग पुलिस कुछ भी कहने कि स्थिति में नहीं है सिर्फ इतना कि निर्मल उर्फ़ निम्मा गिरफ्तार हुआ है... पर इस आतंकबादी कि गिरफ्तारी ने देश का धियान रायपुर में टिका दिया है... हालाकि मिली जानकारी के मुताबिक कुछ कुछ और आतंकबादियों के छिपे होने कि संभाबना है... आईबी और अन्य गुप्तचर बिभाग जाँच में जुटा हुआ है....
खुद प्रदेश के गृह मंत्री ने इस पर मुहर लगायी थी...