खुद को नहीं पता क्या होगा भविष्य उसका...
क्यों चला है वो मेरा कल बताने...
कोई नहीं जनता ये कल का खेल क्या है.............
बिगड़ जाता है वर्तमान जो लगा मैं कल बनाने...
क्यों चला है वो मेरा कल बताने...
कोई नहीं जनता ये कल का खेल क्या है.............
बिगड़ जाता है वर्तमान जो लगा मैं कल बनाने...
सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है...
दूर तक सोचना बिलकुल सही है......
देखना और सोचना आँखे खोलकर तुम...
जो टुटा सपना एक बार तो बड़ा मुस्किल है नया फिर बनाने...
चादर के अन्दर पैर हो तो ही भला है...
बाहर निकले तो तू हाथ फेलाए खड़ा है...
अन्दर बाहर में से तू अन्दर को ही चुनना...
रहेगा सुकून हर पर तो नहीं होगी मुस्किल नया घर बनाने...
बाहर निकले तो तू हाथ फेलाए खड़ा है...
अन्दर बाहर में से तू अन्दर को ही चुनना...
रहेगा सुकून हर पर तो नहीं होगी मुस्किल नया घर बनाने...
...बहुत खूब !!!
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