Tuesday, April 20, 2010

आत्माये रो पड़ी है....

हिंदुस्तान आज जी विकराल समस्या से जूझ रहा है वो कोई और नहीं बल्कि नक्सलबाद है...आतंकबादी तो किस जगह से गोली मार रहे है वो नजर आता है..........पर ये बुजदिल नक्सलबादी कंहा पर अम्बुसे लगाये बैठे है इसकी किसी को बू तक नहीं आती...... नक्सलबाड़ी जगह से सुरु हुआ ये अभियान अब सिर्फ और सिर्फ हिंसा का रास्ता अपनाकर लोगो के खून का प्यासा बन गया है...... रोजाना कंही न कही से खबर आ ही जाती है कि नक्सलबादियों ने हमला कर दिया है... हमें कितना नुक्सान होता है ये सब जानते है पर कोई ये नहीं जनता कि उन्हें कितनी छति हुई है... क्योंकि वो अपने साथियों के शब् को उठाकर ले जाते है..बाबजूद किसी ठोश कार्रवाही के केंद्र सरकार अपना अलग बयाँ देती है तो राज्य सरकार अलग... कोई कभी कहता है कि गोली का जबाब गोली से देंगे..तो कंही से ये बयान दिया जाता है कि अगर वो बातचीत को तैयार है तो हम बात करेंगे... पर सवाल वाही है कि कब तक देश सहिदों के तिरंगे में लिपटे हुए सवो को स्राधांजलि देता रहेगा आखिर कब तक...

अभी ७४ जवानो कि eमौतों पर देश ठीक से आंशु भी नहीं बहा पाया है कि इन सत्ता के मत्बलों के रोज आ रहे बयानों से इन जवानो कि आत्माये रो पड़ी है... और सवाल उठा रही है कि इनकी ये क़ुरबानी क्या इसी तरह ब्यर्थ में जाती रहेगी... एक तरफ तो केन्द्रीय गृह मत्री प.चिदम्बरम कहते है कि नक्सालियों से बातचीत के रास्ते खुले है तो दूसरी तरफ प्रदेश के मुखिया डॉक्टर रमन सिंह कहते है कि गोली का जबाब गोली से दिया जायेगा... क्या इन्ही बयानों कि एसे se नक्सल समस्या गहराएगी और चूड़िया टूटती रहेंगी... पर आज होती रहेंगी... सवाल अनाथ होते रहेंगे... क्या इन्ही बयानों में देश मिटाता रहेगा... ये तो हम और आप सोच लेते है क्योंकि हमने अपनों को खोया है पर ये नेता मंत्री क्या जाने जब इनका कोई मरेगा तो इन्हें उसकी पीड़ा का एहसास होगा... कई सरकारे आई और चली गई॥पर नक्सल बाद है कि मिटने का नाम ही नहीं ले रही..सवाल ये नहीं है कि हम क्या कर रहे है सवाल ये है कि हम अपनी आने वाली पीडी के लिए क्या जिन्दगी से पहले मौत दे रहे है... मुझे लगता तो एसा ही हैजब तक कोई हमारे जैसी सोच रखने वाला नहीं आयेगा तब तक कुछ नहीं होने वाला... किसी ने ठीक ही कहा है कि अगर वक्त रहते साप के फन को नहीं कुचला जाये तो वो वेहद ही खतरनाक के साथ साथ जानलेवा भी हो सकता है... हमने इस नासूर को पहचानने में देर नहीं बल्कि बहुत देर कर दी... अब ये तिल तिल कर हमारी जा ले रहा है... पर किसी ने ये भी कहा है कि अगर गलती को दौहराया जाये और उससे सिख ली जाये तो आने वाला वक्त सुहाना होता है... उम्मीद करनी चाहिए कि ये नेता मंत्री जरुर कुछ तो सिख लेंगे अगर इनके अन्दर इंसानियत जिन्दा बची होगीऔर ये भी कहना चाहूँगा कि राज्य हमारा है इसलिए इसकी हिफाजत कि जिम्मेदारी भी हमारी है... अगर सरकारे नहीं जगती है तो जनता को जागना होगा... क्योंकि इन्हें तो सुरक्षा में रहते हुए कोई नहीं मार सकता पर हमारी जान कि हर पल डर है... ये तो वोरिया विस्तर बांध कर विदेश में जाकर रहने लगेंगे क्योंकि उनकी जमीं जायजाद और बैंक अकाउंट बही पर है... यंहा तक कि संताने भी विदेशी धरती में पल बढ रही है...

मैं तो चलते चलते इतना ही कहना चाहूँगा कि वक्त है मिटा दो नक्सलबाद वरना वो हमें मिटा देगा