Saturday, November 28, 2009

डीजीपी-ननकी की नही बैठ रही है पटरी...

आतंकबाद के बाद अगर हिंदुस्तान के सामने सबसे बड़ी समस्या है तो वो है नक्शलबाद कि...जिसने देश के अन्दर उसकी आंतरिक सुरक्षा को चुनोती देते हुए मौत का तांडव खेला है जो आज भी बदस्तूर जारी है...... ८० के दशक के आसपास सामने आया नक्सलबाद हर दिन के साथ मजबूत होता चला जा रहा है॥पर उसे रोकने के प्रयास हमेशा कि तरह विफल साबित हुए है.....अगर बात कि जाए छत्तीसगढ़ कि तो येंहा एक सुबह एसी नही होती जिस दिन कंही से किसी कि मौत कि ख़बर न आती हो.....कभी नक्सली आम जनता को मरते है तो कभी खाकी उनकी गोली के निशाने पर होती है........बाबजूद इसके सरकार आरपार कि लड़ाई करने कि बात कहती तो है पर उसकी ये कथनी आज तक करनी में तब्दील नही हुई
और हो भी कैसे क्योंकि इस राज्य के गृह मंत्री और पुलिस मुखिया कि पटरी जो नही बैठती...
जी हां हम बात कर रहे है प्रदेश के गृह मंत्री ननकी राम कवर और डीजीपी विश्वरंजन कि॥ क्योंकि इनके बयानों से कुछ एसा ही लग रहा है...... हमेशा से इस राज्य ने नक्सल्बाद के खिलाफ आवाज बुलंद कि... ...पर कोई इसकी ये आवाज नही सुन रहा था...... जिसका ही खामियाजा था कि नकली कि गोली हर पिछली गोली से ज्यादा खतरनाक और ज्यादा कहर बनकर टूटती चली गई॥ बेगुनाह मारे जाते रहे और सरकार तमशा देखती रही... इसा नही है कि प्रयाश नही किए गए पर वो विरोधियों के वार के आगे कमजोर साबित हुए... राज्य सरकार केन्द्र से गुहार लगाती रही.... और केन्द्र उसकी बातों को अनदेखा करता चला गया...और नक्सल्बाद कि जड़े कमजोर पड़ने के बजाये और मजबूत होती गई.... छत्तीसगढ़ से नक्सल्बाद आसपास के राज्यों में पैर पसारने लगा..और एक दिन तो एसा भी आया कि देश का एक राज्य नही दो राज्य नही बल्कि सात राज्य अब तक इसकी चपेट में आ चुके है... और तो और... इतना सब कुछ गुजर जाने के बाद हजारो बेगुनाहों के मारे जाने के बाद देश के सपूतों के क़ुरबानी के बाद अब जाकर जब केन्द्र जगा है और उसने फ़ोर्स भेजना भी सुरु कर दिया और छत्तीसगढ़ को नक्सल्बाद के खात्मे का और मुखियालय बानाने कि स्वीकृति हो गई है तो इस राज्य के गृह मंत्री और डीजीपी एक दुसरे पर बयान बाजी करने लगे है..जो मेरे मुताबिक शोभ्निये नही है जन्हा एक तरफ राज्यों कि सुरक्षा और जनता कि सुरक्षा का सवाल है तो ये अपने मनमुटाव कि बजेह से उठा पटक में लग गए है...ये हम नही पुरा देश क्या पुरी दुनिया देख रही है कि इस राज्य में क्या हो रहा है॥आपको जानकर हेरानी नही होनी चाहिए कि गृह मंत्री तो येंहा तक कह चुके है कि डीजीपी को काम करना नही आता..और डीजीपी क्या चुप बैठने वालों में से है उन्होंने आज ये कह दिया कि मुझे इस पद के लिए बुलाया गया था न कि मैं ख़ुद यंहा पर आया हूँ.....आपको बताना लाजमी हो जाता है कि इन दोनों के बीच ये पहली बार टकराव नही देखा गया है बल्कि दर्जनों वर दोनों के कुछ इसी तरह के बयां मीडिया कि सुर्खिया बनते रहे है...
चलिए आपको एक किसा जो हकीकत है वो सुनाता हूँ... दंतेबदा में नकली हमला हुआ १५ जबानों के सहीद होने कि ख़बर लगी... कायदे ये कहता है कि ख़ुद ननकी राम कंबर को इसकी जानकारी लेना चाहिए था पर कंहा माननिये ननकी राम कृष्ण कि गीता का उपदेस कोरबा में बैठ कर सुन रहे थे... ये तो हुआ राज्ये के एक जिम्मेदार नेता का राज्ये प्रेम जो देश प्रेम से बढकर था... दूसरी तरफ तस्वीर जुदा नही है... जनाव...राज्नाद्गोउन के पास हुए नकली हमले में कई जवान शहीद हुए... पर डीजीपी साहेब साहितिक कार्यक्रम में विय्स्थ थे... जब हमने एक दुसरे के इस कृत्य के वारे में पूछा तो इन दोने जिम्मेदार नेता और आधिकारी का बयान जुदा नही था... और बोल थे..वे समझ daar है उन्हें क्या करना चाहिए. आप ही बताये कि इसे में क्या देश चलता है... डीजीपी और ननकी राम कंवर कि बयान बाजी से चारों तरफ बड़ी थू थू हो रही है.. और इसका सबसे जायदा असर पड़ रहा है उन सेनिकों पर जो नक्सलवादियों से दो दो हाथ करने के अपना परिवार बीबी बच्चे छोड़कर आए है... पर इतना सब कुछ हो जाने के बाद प्रदेश के मुखिया कि चुप्पी कई सरे सवाल पैदा कर रही है... समय समय पर सुनने में ये भी आता रहा है कि प्रदेश के मुखिया रमन सिंह ने डीजीपी विश्वरंजन को इस प्रदेश कि पुलिस कि कमान सोपने कि सिफारिस कि थी बन्ही दूसरी तरफ आदिवासी नेता ननकी राम को वे किनारे करके आदिवाशी वोटों से हाथ नही धोना चाहते..पर जब सवाल प्रदेश कि सबसे बड़ी समस्या ka हो तब भी नही॥
मुझे तो लगता है कि राज्ये में सरकार और पुलिस दोनों ही अपने आपसी मतभेद के चलते राज्ये को दाव पर लगाने में आमादा है..ताजुब न हो तो बताता हूँ कि रायपुर में नक्सलियों ki chahal pehal dikhi gai hai... अभीआज कि ही बात बताता हूँ कि देवभोग डिस्टिक रायपुर में एक उपरेंजर कि पीट पीट कर हत्या कर दी॥ इसके पहले भी रायपुर से नक्सलियों कि गिरफ्तारी हो चुकी है॥ लगता है कि जब नक्सली रायपुर में कोई बड़ा धमाका करेंगे तब जाकर सोये हुए हुक्मरानों कि आँखे खुलेंगी...
आपको एक और बात बताते चलता हूँ जो आपके लिए नये ही होगी... मैंने पुलिस के एक कारीक्रम में शहर के एक पार्षद को ये कहते हुए सुना कि उसके वार्ड में नक्सली गतिविधिया है पर ताजुब तो ये कि पुलिस के एक्टिओं लेने के अभी तक कोई पूछताछा नही हुई है... अब आपको निर्णय लेना है कि आपकी सुरक्षा क्या सही हाथों में है और क्या ये आपके लिए जी रहे है... सायद वे सिपाही जो जान कि बाजी लगते है पर ये नही जो ख़ुद सुरक्षा गार्ड के अपनी गाड़ी से एक कदम भी बाहर नही निकलते...
मैं तो सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि कुछ तो सरम करो नेता और आधिकारियों क्योंकि तुम्हे हमारी सुरक्षा का जिम्मा सोंपा गया है.... ना कि आपस में लड़ने का... क्योंकि बहुत पुराणी कहाबत है कि अगर देश में कलह मची है तो ये अबसर होता है विरोधियों के हमले का,॥ मत तो नक्सलियों को मोका क्योंकि अब ये धरती और खून नही चाहती...