Sunday, June 13, 2010

कुछ मेरी...

१.॥ तेरी जुबान से मेरा नाम उसने ही मिटाया होगा
पता है वो कोई गैर नहीं मेरा अपना होगा...
जो जनता है मैं तुझसे मोह्बात करता हूँ...
सायद उसी दोस्त ने तेरे दिल में अपना घर बनाया होगा...

२.॥ यूँ तो लोग कहते है प्यार हर इंसान को होता है...
दिल हर किसी का धडकता है...
मेरे मोहल्ले के एक दादा को भी इश्क हो गया...
क्योंकि किसी ने कहा है कि दिल बच्चा होता है...

३.॥ तोड़ दो मंदिर तोड़ दो मस्जिद और बना दो मधुशाला...
मुस्लिम बैठ कर पिये मधुशाला में हिन्दू छलकाए पियाले पर पियाला...
सरत है मेरी न होगा दंगा न होगा पंगा अमन चैन कायम होगा...
ईद मानेगी हिन्दू के घर दिवाली दिया मुस्लिम घर होगा...
पर कौन सुनता मेरी सब लगे है अपना उल्लू सीधा करने...
जन्हा से आये जितना भी आये लगे है सब जेबे भरने...
कुर्सी के पुजारी ने अब धर्म का दमन थम लिया...
कोमी भाषण देकर सिम्पेथी वोट हथिया लिया...
गलती उनकी नहीं वो तो खरीदने खड़े है...
हम है जो बिकने खड़े है...
अब भी बक्त है सभाल जाओ...