Friday, March 18, 2011

ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...

हाथों में रंग मल के तेरे गालों को गुलाबी कर दूँ...
पर अब वो रंग कंहा जो तेरे गालों पर चडेगा...
तेरी चुनर को रंगेगा... अब वो रंग कंहा.. ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...

१. मैंने एक दिन पहले से तैयारी कर ली थी...
कि सुबह होते ही निकल जाऊंगा उसकी गलियों में...
पर बता मेरे हम दम तू कंहा मिलेगी...
मैं देखता रहा ये ही सपना सारी रात... ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...

२. कुछ ने गुमराह किया कि वो नहीं आएगी...
कुछ बोले आ के चली गई इन्ही गलियों से...
पर बता ये मेरे दिल तू आएगी कि नहीं...
मैं बैठा रहा इन्ही रास्तों में सारी उम्र..... ये जिन्दगी तेरे लिए...