Saturday, May 8, 2010

सोते रहोगे तो लूट जायेगा देश...

एक बार फिर नक्सालियों ने कायराना हरकत करते हुए... अपने इरादे साफ कर दिए..... बीजापुर के तोड्पाल में आज शाम करीब .३० बजे जब जवान राशन ले जा रहे थे तभी उनकी गाड़ी को नक्सालियों ने उड़ा दिया...जिसमे जवानो कि मौत हो गई..... जबकि कई जवान घायल हो गये... घटना कि जानकारी लगते ही पुरे छग में हडकंप मच गया... तो दूसरी तरफ पुलिस और सीआरपीएफ दोनों ही डिपार्टमेंट में खलवली मच गई...सीआरपीएफ कि १६८ बटालियन के ये जवान राशन लेकर लौट रहे थे... नक्सालियों द्वारा किया गया ये हमला ये दर्शाता है कि शांति के नाम पर कि जा रही यात्रा उन्हें मंजूर नहीं है... देश के सभी बड़े बुद्धिजीवी एक मंच पर खड़े होकर बोल रहे थे कि नाक्साली हथियार डाल देंगे अगर सरकार अपने ग्रीन्हांट ऑपरेशन को बंद करे... उनका कहना था कि बो नक्सालियों से बात करेंगे... पर लगता है कि ये सारा कुछ एक दिखाबा है क्योंकि इन बुद्धिजीवियों को क्या ये नहीं पता कि... नाक्साली बात करने को तैयार नहीं ये सिर्फ मरना और मारना जानते है... एसे में अगर ये बुद्धिजीवी सरकार पर दबाब बनाते है तो ये साफ़ दर्शाता है कि बुद्धिजीवी नक्सल समर्थक से ज्यादा और कुछ नहीं... या फिर ये देश के सामने मीडिया के जरिये परचलित होना चाहते है... नक्सालियों का ये हमला ठीक उस बक्त हुआ है जब बुधिजीविओं का दल दंतेवाडा के दौर पर है...
नक्सालियों कि आज कि इस हरकत को कोई भी बुजदिल भरी कार्रवाई कह सकता है पर इसे नक्सालियों के लिए कामयाबी और हमारे देश के लिए एक और बड़ी बिफलता से ज्यादा कुछ और नहीं... आज प्रदेश के गृह मंत्री ने केंद्र सरकार से सेना कि मांग तक कर डाली ये साबुत है इस बात का कि अब नक्सलबाद को रोकना या नाक्साली गतिविधियों को रकना इनके बस कि बात नहीं है... बन्ही नक्सालियों ने साफ़ संकेत दिए है कि वे बन्दुक डालने बालो में से नहीं है... और लगातार जवानो को मारते रहेंगे... आज कि घटना के बाद भी अगर सरकारों कि नीद नहीं खुलती है तो ये देश के लिए किसी दाग से कम नहीं कि दुश्मन लाशे बिछा रहा है और हम लाशों कि गिनती में लगे हुए है... ये कहानी सिर्फ और सिर्फ आज शहीद हुए आठ जवानो कि नहीं है बल्कि अब तक शहीद जवानो कि है... जो देश कि सरकार से इस बात कि इल्तजा कर रहे है कि उनकी रूह को शांति दिला दो... इस नक्सलबाद को जड़ से समाप्त कर दो... ताकि कोई और शहीद न हो... और ये नेता और एसी में बैठे लोग क्या समझे कि दर्द क्या होता है... बन्ही प्रदेश कि डीजीपी का कहना है कि हमें जबावी कार्रवाही के लिए तैयार रहना चाहिए......
पर आखिर हम कब देंगे जवाब तब जब ८ नहीं ३२ नहीं ७६ नहीं संखिया सेकड़ो पर कर जायेगे तब भेजेगो सेना..... तब तक इतनी दे हो जाएगी कि लड़ने के जवाब कम पड़ जायेंगे... क्योंकि देश में जवाब रोजाना मरे जा रहे है एसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अब बक्त आ गया है कि नक्सालियों का सफाया कर दिया जाये... बरना ये नाशुर इतना बढ जायेगा कि शारीर के कई अंगो में जहर घोल देगा... मुझे नहीं लगता है कि इंडियन लीडर्स में ये ताकत है कि वो इंदिरा गाँधी जैसा वोल्ड स्टेप उठा सके..क्योंकि उसके लिए पहले देश हित सोचना होगा फिर अपना व्यक्तिगत हित... आज के नेता सिर्फ अपनी दुकान चलते है ... उन्हें इससे क्या कि देश में क्या होना चाहिए क्या नहीं... नक्सल समस्या आज कि नहीं है... आप खुद सोचिये कि हमने इसे कितनी इज्जत के साथ पाला है... क्या देश के नेताओ को उस बक्त समझ नहीं आया कि ये आने वाले दशकों में देश के लिए नाशुर बन जाएगी... अगर नहीं सोच तो ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें ये विरासत उनसे मिली... जिनमे दूर तक सोचने और देखने कि शक्ति ही नहीं थी...
मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगा कि अब भी बक्त है नीद तोड़ के जाग जाओ बरना ये नाक्साली आपकी राजधानी में अगर हमला न कर दे तो कहियेगा..
एक बार फिर नक्सालियों ने कायराना हरकत करते हुए... अपने इरादे साफ कर दिए..... बीजापुर के तोड्पाल में आज शाम करीब .३० बजे जब जवान राशन ले जा रहे थे तभी उनकी गाड़ी को नक्सालियों ने उड़ा दिया...जिसमे जवानो कि मौत हो गई..... जबकि कई जवान घायल हो गये... घटना कि जानकारी लगते ही पुरे छग में हडकंप मच गया... तो दूसरी तरफ पुलिस और सीआरपीएफ दोनों ही डिपार्टमेंट में खलवली मच गई...सीआरपीएफ कि १६८ बटालियन के ये जवान राशन लेकर लौट रहे थे... नक्सालियों द्वारा किया गया ये हमला ये दर्शाता है कि शांति के नाम पर कि जा रही यात्रा उन्हें मंजूर नहीं है... देश के सभी बड़े बुद्धिजीवी एक मंच पर खड़े होकर बोल रहे थे कि नाक्साली हथियार डाल देंगे अगर सरकार अपने ग्रीन्हांट ऑपरेशन को बंद करे... उनका कहना था कि बो नक्सालियों से बात करेंगे... पर लगता है कि ये सारा कुछ एक दिखाबा है क्योंकि इन बुद्धिजीवियों को क्या ये नहीं पता कि... नाक्साली बात करने को तैयार नहीं ये सिर्फ मरना और मारना जानते है... एसे में अगर ये बुद्धिजीवी सरकार पर दबाब बनाते है तो ये साफ़ दर्शाता है कि बुद्धिजीवी नक्सल समर्थक से ज्यादा और कुछ नहीं... या फिर ये देश के सामने मीडिया के जरिये परचलित होना चाहते है... नक्सालियों का ये हमला ठीक उस बक्त हुआ है जब बुधिजीविओं का दल दंतेवाडा के दौर पर है...
नक्सालियों कि आज कि इस हरकत को कोई भी बुजदिल भरी कार्रवाई कह सकता है पर इसे नक्सालियों के लिए कामयाबी और हमारे देश के लिए एक और बड़ी बिफलता से ज्यादा कुछ और नहीं... आज प्रदेश के गृह मंत्री ने केंद्र सरकार से सेना कि मांग तक कर डाली ये साबुत है इस बात का कि अब नक्सलबाद को रोकना या नाक्साली गतिविधियों को रकना इनके बस कि बात नहीं है... बन्ही नक्सालियों ने साफ़ संकेत दिए है कि वे बन्दुक डालने बालो में से नहीं है... और लगातार जवानो को मारते रहेंगे... आज कि घटना के बाद भी अगर सरकारों कि नीद नहीं खुलती है तो ये देश के लिए किसी दाग से कम नहीं कि दुश्मन लाशे बिछा रहा है और हम लाशों कि गिनती में लगे हुए है... ये कहानी सिर्फ और सिर्फ आज शहीद हुए आठ जवानो कि नहीं है बल्कि अब तक शहीद जवानो कि है... जो देश कि सरकार से इस बात कि इल्तजा कर रहे है कि उनकी रूह को शांति दिला दो... इस नक्सलबाद को जड़ से समाप्त कर दो... ताकि कोई और शहीद न हो... और ये नेता और एसी में बैठे लोग क्या समझे कि दर्द क्या होता है... बन्ही प्रदेश कि डीजीपी का कहना है कि हमें जबावी कार्रवाही के लिए तैयार रहना चाहिए......
पर आखिर हम कब देंगे जवाब तब जब ८ नहीं ३२ नहीं ७६ नहीं संखिया सेकड़ो पर कर जायेगे तब भेजेगो सेना..... तब तक इतनी दे हो जाएगी कि लड़ने के जवाब कम पड़ जायेंगे... क्योंकि देश में जवाब रोजाना मरे जा रहे है एसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अब बक्त आ गया है कि नक्सालियों का सफाया कर दिया जाये... बरना ये नाशुर इतना बढ जायेगा कि शारीर के कई अंगो में जहर घोल देगा... मुझे नहीं लगता है कि इंडियन लीडर्स में ये ताकत है कि वो इंदिरा गाँधी जैसा वोल्ड स्टेप उठा सके..क्योंकि उसके लिए पहले देश हित सोचना होगा फिर अपना व्यक्तिगत हित... आज के नेता सिर्फ अपनी दुकान चलते है ... उन्हें इससे क्या कि देश में क्या होना चाहिए क्या नहीं... नक्सल समस्या आज कि नहीं है... आप खुद सोचिये कि हमने इसे कितनी इज्जत के साथ पाला है... क्या देश के नेताओ को उस बक्त समझ नहीं आया कि ये आने वाले दशकों में देश के लिए नाशुर बन जाएगी... अगर नहीं सोच तो ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें ये विरासत उनसे मिली... जिनमे दूर तक सोचने और देखने कि शक्ति ही नहीं थी...
मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगा कि अब भी बक्त है नीद तोड़ के जाग जाओ बरना ये नाक्साली आपकी राजधानी में अगर हमला न कर दे तो कहियेगा...