Sunday, November 22, 2009

आई बी एन पर हमला हिंदुस्तान पर हमला

पत्रिकारिता जिसे लोकतंत्र का चोथा स्तम्भ मन जाता hai अगर उस पर हमला होता है तो ये हमला लोकतंत्र पर है और इसकी जितनी निदा की जाए वो ना काफी है... आई बी एन ७ लोकमत के मुंबई स्तिथ दफ्तर पर हुआ हमला ये सावित करता है की देश का कानून आज भी उन लोगो की जागीर बना हुआ है... जो इसे बर्षों से खेलते आ रहे है... अगर मुंबई पुलिस ये समझती है की ७ लोगो की गिरफ्तारी करके उसने अपना काम पुरा कर दिया है तो यह उसकी भूल हँ क्योंकि उन सात गुडों को पकड़ने से कुछ नही होने वाला क्योंकि इस वारदात को करवाने वाला अभी भी चैन की साँस ले रहा है... और लेता आया है... शिवसेना के गुंडों को अगर पकड लिया है... और यह भी पता है की ये किसके कहने पर किया गया है तो घटना को एक लंबा अरशा बीत जाने के बाद पुलिस क्यों खामोश है... इससे साफ़ है कि गुंडा राज के आंगे खाकी के हाथ ख़ुद हथकड़ी में जकड़े हुए है...

आपको तो पता ही है कि हिंदुस्तान में ये पहला बाक्य नही है कि जब पत्रकार पर हमला हुआ हो या चैनल के दफ्तर पर पर क्यों आजतक कोई एश कानून नही बनता जिससे सच को सामने रखने वालों को रोका जन सके... आजादी के ६० साल गुजर जाने के बाद भी अगर एसा होरहा है तो दुर्भाग्य कि बात है... ये तो अच्छा हुआ कि हमला वारो को मीडिया ने पकड़ लिया बरना हम और आपको येही मालूम होता कि किसी ने हमला किया होगा और पुलिस कि जाँच चल रही है.... पर ये तो सबके सामने है कि शिवसेना सुप्रीमो ने ख़ुद लिखा है कि ये हमला शिवसेना ने करवाया है... आब तक तो आप जिहादियों को हमले कि जिम्मेदारी लेते सुनते थे पर अब आप ख़ुद सामना में सायद पड़ चुके होंगे कि कितनी दिलेरी से शिवसेना हमले कि जबाबदारी ले रही है इससे साफ है कि इन्हे कानून काम डर नही है... क्योंकि इनको पता है कि कानून इनका कुछ नही बिगड़ सकती...

एक अहम् सवाल ये है कि अगर शिवसेना के टट्टू किसी मीडिया दफ्तर पर तोड़फोड़ या पत्रकारों को मार सकते है तो ये भी उतना भी सच है कि वो किसी को मार काट सकते है... बालासाहेब तो राज ठाकरे कि भाषा बोलते नजर आ रहे है... कभी आपनी बेबाकी के लिए जाना जाने वाला सामना अब सिर्फ़ भड़ास बन कर रह गया है... जो रोज किसी न किसी को कोसता रहता है,... मुझे तो लगता है.... कि मुंबई को ठाकरे परिवार काम ने इतना बदनाम कर दिया है कि लोग मुंबई को माया नगरी कि जगह गुंडा नगरी मानने लगे है... एक तरफ तो राजठाकरे और उसके समर्थकों काम सिर्फ़ हिन्दी बोलने बालों को मरना रह गया है... तो अब बालठाकरे भी इसी रह पर चल पड़े है क्योंकि उन्हें भी समझ में आ ही गया है है कि राज ठाकरे कि रह में चल कर ही सफलता है इसलिए चाचा भातिये दोनों कुंद पड़े है अंधे कुए में जन्हा इन्हे नफरत के आलावा कुछ नही दिख रहा... सिवाजी के नाम पर राजनीती करने वाले ये अपने आप को मराठी मानते है तो इन्हे एकबार ख़ुद को पवित्र करना होगा क्योंकि ये मराठी कहने के काविल ही नही... छत्रपति सिवाजी जिन्होंने देश को एक जुट करने में आपनी क़ुरबानी दे दी ... ये भूल गए कि उनकी आत्मा ऊपर से कितनी रो रही हो रही होगी...

हम तो सिर्फ़ इतना कहना चाहते कि मुंबई को अगर बचाना है तो कानून को गुंडों पर लगाम कसनी होगी.... और उन गुंडों पर जो गुंडों के सरताज बने बैठे है... आप समझ ही गए होंगे कि हम किनकी बात कर रहे है... रही बात मीडिया कि तो उसकी चिंता करने कि जरूरत किसी को नही है क्योंकि जो किसी को आसमान पर पहुचती है तो उसे जमींन दिखने में जायदा बक्त नही लगता..कलम को हमेशा रोका गया है.... आजादी के बाद भी आजादी के पहले भी पर इसे जितने बार भी रोकने कि कोशिश कि गई है उसने उतनी ही धार से सच के साथ वार किया है... और उम्मीद है कि करती रहेगी...