Sunday, June 6, 2010

देश के गदार... को फांसी दो...

नक्सलवाद आज देश कि सबसे विकराल समस्या है... जाने इस खूंखार दानव ने अब तक कितने बेगुनाहों को मौत के घाट उतर दिया..बाबजूद इसके कुछ लोग है जो आज भी उनकी वकालत करते है..एसे में इन लोगो को देश का गद्दार कहने में मुझे जरा भी झिझक नहीं होती... और हो भी क्यों क्योंकि में जिस माती में जनमा हूँ उसकी तरफ उठने वाली हर निगाह मेरे लिए किसी दुश्मन से कम नहीं... पर न जाने हमारे देश कि सरकार को क्या हो गया है वो आज क्यों मौन है जब एक लेखिका कहती है कि वो नक्सलवाद का समर्थन करती है... अभी कल कि ही बात है कि मुंबई में दिए अपने एक बयान में जानी मानी लेखिका और अपने को समाज सेविका कहलवाने वाली अरुंधती रॉय ने एक मंच पर ये कह दिया कि वो नक्सलवाद का समर्थन करती है अगर सरकार उन्हें इसके लिए जेल में डाल दे तो वो जेल जाने को तैयार है... यानि ये देश कि सरकार को खुला चैलेन्ज है... पर हमारे देश कि सरकार तो माशा अल्ला है वो कुछ नहीं करती.. पर इस बयान ने मुझ जैसे देश के सपूत के अन्दर उसके प्रति नफरत जरुर भर दी है॥
उस माँ से पूछा है क्या अरुंधती राय ने जाकर कि उसके बेटे के मारे जाने के बाद उस पर क्या बीत रही है... उस बहिन से पूछा है कि उसकी राखी का क्या होगा... उस मासूम से पूछा है क्या उसके बाप कि मौत के बाद उससे सहारा कौन देगा... उस पत्नी से पूछा है क्या विधवा होने का दर्द क्या है... अगर इन सवालों के जवाब मैडम आपके पास है तो आप नक्सालियों का सपोर्ट कर सकती है... मुझे जरा भी तकलीफ नहीं होगी पर आपने जो कहा है उसने बर्षो पुराने जख्मो को फिर से ताज़ा कर दिया है... ये हिंदुस्तान है इसलिए आप अभी तक बची हुई है बरना कब कि सलाखों के पीछे होती... मुझे सीजी के गृहमंत्री का वो बयान अच्छा लगा उन्होंने साफ कहा कि अगर अरुंधती या उस जैसी कोई भी हस्ती हमारे प्रदेश में होती तो उस पर अब तक कार्रवाई हो चुकी होती फिर उसके दूर गामी परिणाम जो होते तो होते... ननकी राम ने यंहा तक इशारा कर दिया कि केंद्र सरकार कार्रवाई करे... पर जनाव हमारे हुक्मरान बड़े दरिया दिल है उनकी दरिया दिली का ही नतिया है कि आज दुश्मन हमें मारे जरा है और हम मार खाते जा रहे है...
आज बक्त आ गया है कि देश में छुपे गदारों को गिरफ्तार कर नक्सालियों कि लाइफ लाइन बंद कर दी जाये... मैं किसी पर इल्जाम नहीं लगा रहा पर आज इतना तो साफ हो गया है कि अरुंधती जैसी सक्सियत हो नक्सालियों को सपोर्ट करती है... हमारी जानकारी नक्सालियों तक कैसे पंहुचती है इसका जवाब भी ये ही है... हमारे देश के लोगो को चाहिए कि वो जागे और सोई हुई सरकार को जगाने के लिए आन्दोलन करे क्योंकि ये मामला कोई छोटा मोटा नहीं है बल्कि सवाल है देश का... नक्सालियों को आज हमारी हर पल कि खबर कैसे लग जाती है... कैसे वे जान जाते है कि हम कान्हा से जाने वाले है... देश के एक बुद्धिजीवी का दल रायपुर आया हुआ था उनका कहना था कि वो नक्सालियों से बात चित कर बीच का रास्ता खोज रहा है... ताकि कोई हनी न हो... पर क्या बताये आज देश में इन बुद्धिजीवियों के कारण ही हम नक्सालियों के हाथो हर मोर्चे पर मात खा रहे है... एसे में सवाल ये उठता है कि क्या ये देश के गदार नहीं... क्या इन्हें कसाव कि तरह फांसी कि सजा नहीं सुनानी चाहिए.... कसाव ने तो अपने आकायों के कहने पर दुसरे मुल्क पर हमला किया ये तो अपने मुल्क के होकर हमारी पीठ पर ही खंजर उतर रहे है... सोचना होगा... कि क्या एसे लोग किसी आतंकबादी से कम है क्या... इन्हें भी मौत कि सजा मिलनी चाहिए...