मुझे अभी इ टीवी में काम करते हुए ज्यादा बक्त नहीं हुआ है.... पर तजुर्बे इतने हो गये है कि मैं पता नहीं क्यों बेहद दुखी हूँ और चिंतित भी पत्रकारिता को लेकर... कि आखिर हम कर क्या रहे है... चलिए अपने एक तजुर्बे से अबको बाकिफ करता हूँ...... आज यानि कि ०२ फरबरी को मुझे राजिम जो रायपुर से ५० किलोमीटर है बहा जाकर लाइव करने का मोका मिला... मैं गया तो था बहुत कुछ सोचकर पर पता नहीं क्यों जो सोच उससे बिलकुल अलग हुआ॥ मुझे लगा था कि बहा पर कुछ मीडिया के बंधू तो होंगे पर कोई नहीं था..सिर्फ मैं और मेरे साथ इ टीवी के कुछ साथी कुछ देर तक तो सब ठीक चलता रहा॥ तभी एक प्रादेशिक चैनल का रिपोर्टर मेरे पास पंहुच और बोला कि पकेज मिला है क्या... पहले तो मैं समझा नहीं... उसने दुबारा दोहराया कि जनव पकेज मिला है क्या... मैंने कहा कि नहीं तो बोला कि बिना पकेज के कोई क्यों लाइव करेगा...यानि कि आप समझ गए होंगे कि आजकल पर्त्रकारिता क्या हो चली है... जन्हा देखो सिर्फ पकेज कि बाते,... मुझे लगा कि उसने जो सोचा वो सही था.... कुछ भी गलत नहीं था क्योंकि हम पकेज कि भूखे हो चले है... और उसके येबज में अपनी कलम बेंच चुके है....... मुझे कहते हुए जरा भी दुःख नहीं होता कि आज कि पत्रकारिता बिकाऊ है...जन्हा तक सवाल है मेरे चैनल का तो वो मेरी नजर में बिकाऊ नहीं है.... हर कोई चैनल चलने कि लिए पैसा चाहता है... पर हमारा मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं है बल्कि जो है उसे दिखाना भी है...
ये तो एक बाक्य था... पर हकीकत यही है...फिर चाहे चुनाव हो या कोई सरकारी आयोजन सब में मीडिया उस कुत्ते कि तरह भागती है... जिसे कंही पर पड़े हुए मांस कि महक आती है..... सवाल जायद बड़ा नहीं है पर गंभीर है वो ये कि आखिर हिंदुस्तान कि पत्रकारिता किस दिशा पर चाल रही है॥ आज भी कुछ अखवार और मीडिया हाउस है जो अपने सिधांत पर कायम है और इन्ही चाँद कि बजह से आज पत्रकारिता जिन्दा है... आज अख़बार में विज्ञापन को पहले समाचारों को बाद में तर्जिब दी जाती है..भले ही उसकी महत्ता विज्ञापन से ज्यादा क्यों न हो...अगर सम्पादक सही है तो जनाव चार कोलोम कि खबर एक कोलोम में कर देता है... पर विज्ञापन से नो कम्पोर्मैज़े... .आजकल तो एक और प्रात है..कभी समाचार पत्र का पहला पेज उसका आइना होता था पर आज बही पेज विज्ञापन कि भेट चढ़ जाता है... और दूसरा पेज होता हो समाचार का... यानि साफ़ हो कि विज्ञापन के लिए साला कुछ भी करेगा.......
भीड़ में कुछ अच्छे इंसान भी होते हैं,जरा उन्हें तो सलाम कहिएगा।
ReplyDeleteबहुसंख्यकों की बात उकेरी है, बधाई।
.... बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति, प्रसंशनीय !!!!!
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