ज्ज़बात ए ख़बरनवीस
ज्ज़बात है...मेरे अंतर्मन का...कुछ कहने का...कुछ कर दिखाने का...ज्ज़बात है..मेरे बचपन का..मेरी जवानी का...मेरी पत्रकारिता का....ज्ज़बात है...मेरी कलम का...मेरी सोच का..मेरे हौसलें का..ज्ज़बात है...नयापन दिखाने का...ऊँची उड़ान का...सच के साथ चलने का...ज्ज़बात है..मेरे अपनेपन का....जो है...आपके साथ...आपके लिए...हमेशा....ज्ज़बात एक खबरनवीस का....
Tuesday, June 12, 2012
meri tarah lapata
हर पते पर कोई न कोई मिल जायेगा,
मेरी तरह लापता दो चार लोग होते है...
मेरी तरह दो ...
मेरी तरह दो ...
मेरी तरह लापता दो चार लोग होते है...
- कि इंसान के मरने पर इंसान रोयेंगे,
मेरी तरह दो ...
- चराग जलाना उनके लिए आसान है बहुत,
मेरी तरह दो ...
- हँसता बहुत है संसार अजूबों को देखकर,
मेरी तरह दो चार लोग होते है...
Thursday, February 16, 2012
मैं एक शराबी हूँ।...
मैं एक शराबी हूँ।...
मेरे मरने पर तुम क्या करोगे
मुझे दफ्नाओगे की जलाओगे
क्योंकि मैं न हिन्दू, न मुसलमान
मैं एक शराबी हूँ, बताओ कंहा ले जाओगे...
क्या पत्थरों से बाँध कर मुझे गंगा में बहाओगे...
मैं एक शराबी हूँ...
क्या मेरे नाम पर मयखाना खुलबयोगे
मैं एक शराबी हूँ...
क्या धर्म के नाम पर मेरे मृत शारीर के टुकड़े करोगे
मैं एक शराबी हूँ, बताओ कंहा ले जाओगे...???
मेरे मरने पर तुम क्या करोगे
मुझे दफ्नाओगे की जलाओगे
क्योंकि मैं न हिन्दू, न मुसलमान
मैं एक शराबी हूँ, बताओ कंहा ले जाओगे...
- किस्से पूछोगे मेरा नाम पता
क्या पत्थरों से बाँध कर मुझे गंगा में बहाओगे...
मैं एक शराबी हूँ...
- जो भी मारा उसके लिए कुछ न कुछ बना है
क्या मेरे नाम पर मयखाना खुलबयोगे
मैं एक शराबी हूँ...
- पोलिसे पूछेगी तो क्यों गवाही देगा
क्या धर्म के नाम पर मेरे मृत शारीर के टुकड़े करोगे
मैं एक शराबी हूँ, बताओ कंहा ले जाओगे...???
Monday, October 24, 2011
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
दोस्तों को दीप मुबारक... दुश्मनो को रौशनी मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- आँगन कि रंगोली मुबारक... फूलों कि थाल मुबारक...
- आपको ख़ुशी मुबारक... ख़ुशी का हर पल मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- फटाको कि लडिया मुबारक... फुलझड़ी कि चट चटाहत मुबारक...
- आपको शुभ मुबारक... साथ में लाभ मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- रंग बिरंगे कपडे मुबारक... सोने चांदी के गहने मुबारक...
- बड़ों का स्नेह मुबारक... छोटो को प्यार मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- लक्ष्मी का आशीष मुबारक... गणेश का अभिषेक मुबारक...
- बूंदी के लड्डू मुबारक... बतासों का सवाद मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
प्रशांत हिन्दुस्तानी, रिपोर्टर. डी बी स्टार, रायपुर
दोस्तों को दीप मुबारक... दुश्मनो को रौशनी मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- आँगन कि रंगोली मुबारक... फूलों कि थाल मुबारक...
- आपको ख़ुशी मुबारक... ख़ुशी का हर पल मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- फटाको कि लडिया मुबारक... फुलझड़ी कि चट चटाहत मुबारक...
- आपको शुभ मुबारक... साथ में लाभ मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- रंग बिरंगे कपडे मुबारक... सोने चांदी के गहने मुबारक...
- बड़ों का स्नेह मुबारक... छोटो को प्यार मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
- लक्ष्मी का आशीष मुबारक... गणेश का अभिषेक मुबारक...
- बूंदी के लड्डू मुबारक... बतासों का सवाद मुबारक...
* दीपों कि ये शाम मुबारक... शाम कि झिलमिल मुबारक...
प्रशांत हिन्दुस्तानी, रिपोर्टर. डी बी स्टार, रायपुर
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...
अश्मा का चाँद खुद को छिपता नहीं, परदे गिरता नहीं...
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है... फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...
१- इज-ए-इश्क करना आसान नहीं... इसकी कोई परिभाषा नहीं...
अब इस दिल का क्या करे जो उसके ख्यालों में है...
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...............
२- दिल तुम्हारा धडके उसके लिए... ये जरुरी नहीं कि उसका भी धडके तुम्हारे लिए...
वो सदा खुश रहे जो निगाहों में है...
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है... फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...
१- इज-ए-इश्क करना आसान नहीं... इसकी कोई परिभाषा नहीं...
अब इस दिल का क्या करे जो उसके ख्यालों में है...
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...............
२- दिल तुम्हारा धडके उसके लिए... ये जरुरी नहीं कि उसका भी धडके तुम्हारे लिए...
वो सदा खुश रहे जो निगाहों में है...
फिर ये धरती का चाँद क्यों नकाबो में है...
Monday, October 17, 2011
पुजारी को बनाया 'मदकू द्वीपÓ का गार्ड
डी बी स्टार, रिपोर्टर प्रशांत गुप्ता के साथ दिलीप जायसवाल
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संस्कृति एवं पुरातत्व संचालनालय के जिम्मेदारों की लापरवाही मदकू द्वीप के पुरातात्विक धरोहरों की सुरक्षा पर सेंध लगा सकती है। वहीं दूसरी तरफ उत्खनन में निकले पुरा अवशेषों के साथ छेड़छाड़ करने जैसे गंभीर आरोप भी लगने शुरू हो गए हैं। यह वही जगह है जहां के उत्खनन का जिम्मा सिरपुर स्थित उत्खनन साइट के सुपरवाइजर के नाम जारी कर दिया गया था।
डीबी स्टार टीम राजधानी से 85 किमी. दूर रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित मदकू द्वीप की वास्तविक स्थिति का जायजा लेने पहुंची। खुलासा हुआ कि यहां संस्कृति एवं पुरातत्व संचालनालय की तरफ से सुरक्षा के लिए अब तक कोई बंदोवस्त ही नहीं किए गए। हद तो यह है कि ऐतिहासिक सम्पत्ति की सुरक्षा स्थानीय पुजारी कर रहे है, जिन्हें संचालनालय की तरफ से दैनिक वेतनमान दिया जा रहा है। वर्ष 2010-2011 में हुई खुदाई के दौरान यहां ११वी शताब्दी के स्थापत्य कला के पुरावशेष मिले हैं, जिनमें से एक भी साबूत नहीं थे। खुदाई का जिम्मा लेने वाले सुपरवाइजर प्रभात सिंह ने पुरात्तववेत्ता ए.के. शर्मा के साथ मिलकर इनके साथ छेड़छाड की। ऐसा इसलिए किया गया ताकि अवशेषों को मंदिर की शक्ल दी जा सके और संबंधितों को प्रसिद्धी मिले। मंदिर तो बना दिया गया लेकिन अवशेषों को कहीं का कहीं जोड़ दिया गया है। इस पर पुरातत्वेत्ताओं का कहना है कि खुदाई में मिले अवशेषों को उनकी मौजूदा स्थिति में ही रखा जाता है उनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। वहीं यह तब संभव है जब साइट इंचार्ज के पास हू-ब-हू प्रमाण (तस्वीरें) हो या उसका लेख हो। टीम ने यहीं कुछ और पुरावशेषों को देखा जो मंदिर निर्माण से बच गए हैं लेकिन उन्हें अब तक सुरक्षित नहीं रखा जा सका है। पुरावशेषों को मंदिर की शक्ल तो दे दी गई, लेकिन अभी से इसके अवशेष उखडऩे लगे हैं। टीम ने इस संबंध में पुरातत्ववेत्ताओं और इतिहासकारों से बात की, उनका कहना है कि ऐसा करना तो नियमों के खिलाफ है। उधर विभाग के संचालक कह रहे हैं कि...................।
लाइव- 04 अक्टूबर को डीबी स्टार रिपोर्टर मदकू द्वीप पहुंचे। शिवनाथ नदी के बीचों बीच स्थिति होने के कारण इसे द्वीप कहा जाता है। जो करीब 70 एकड़ में फैला हुआ है। कुछ साल पहले स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही खुदाई के दौरान साइट पर कुछ मूर्तिंया मिली, जिसकी खबर लगते ही पुरातत्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उत्खनन करवाया गया। टीम ने पाया कि खुदाई स्थल भले ही साफ-सुथरा हो लेकिन यहां किसी के भी आने-जाने में कोई रोक-टोक नहीं है। बड़ी आसानी से इस परिसर में दाखिल हुआ जा सकता है। पुरातत्व और इतिहास के लिए शोध का विषय यह स्थल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां ऐतिहासिक धरोहर है। टीम को मौके पर कुछ ऐसे भी अवशेष दिखाई दिए जो सुरक्षित नहीं थे। इस बारे में जानकारी जुटाई गई तो सामने आया कि इनके दूसरे हिस्से नहीं मिले हैं। उधर इस जगह की सुरक्षा के लिए महज तार की फेसिंग करवाई गई है लेकिन परिसर में अन्य पुरानी मंदिरों के होने की वजह से लोग यहां तक भी आ जा रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर न तो एक गार्ड है और न ही संचालनालय का कोई कर्मचारी। अगर इनमें से एक पत्थर भी चोरी जाता है, तो जवाबदारी किसकी होगी?
Friday, April 8, 2011
....क्योंकि कोई यूँ ही दीवाना नहीं होता...
उसकी आखों ने इशारा किया होगा क्योंकि कोई यूँ ही दीवाना नहीं होता...
भले ही छुपा ले वो दिल कि बात ईमान से...
पर मोहबत करने वालों के लिए निगाहे पड़ना कोई मुस्किल काम नहीं होता...
१- सब सोचते है... पहले प्यार का ख़त क्या लिखूं, कैसे लिखूं...
पर ये मेरे दोस्त, इज-हारे-दिल लिखना इतना आसान नहीं होता...
२- सीने पर रख कर सोता हूँ उसकी तस्वीर को, आह्ट होते ही छुपा लेता हूँ...
दिल का दुर्द क्या हे मेरे... किसी को समझाना इतना आसान नहीं होता...
प्रशांत हिन्दुस्तानी, रिपोर्टर, डीबी स्टार, raipur
भले ही छुपा ले वो दिल कि बात ईमान से...
पर मोहबत करने वालों के लिए निगाहे पड़ना कोई मुस्किल काम नहीं होता...
१- सब सोचते है... पहले प्यार का ख़त क्या लिखूं, कैसे लिखूं...
पर ये मेरे दोस्त, इज-हारे-दिल लिखना इतना आसान नहीं होता...
२- सीने पर रख कर सोता हूँ उसकी तस्वीर को, आह्ट होते ही छुपा लेता हूँ...
दिल का दुर्द क्या हे मेरे... किसी को समझाना इतना आसान नहीं होता...
प्रशांत हिन्दुस्तानी, रिपोर्टर, डीबी स्टार, raipur
Friday, March 18, 2011
ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...
हाथों में रंग मल के तेरे गालों को गुलाबी कर दूँ...
पर अब वो रंग कंहा जो तेरे गालों पर चडेगा...
तेरी चुनर को रंगेगा... अब वो रंग कंहा.. ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...
१. मैंने एक दिन पहले से तैयारी कर ली थी...
कि सुबह होते ही निकल जाऊंगा उसकी गलियों में...
पर बता मेरे हम दम तू कंहा मिलेगी...
मैं देखता रहा ये ही सपना सारी रात... ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...
२. कुछ ने गुमराह किया कि वो नहीं आएगी...
कुछ बोले आ के चली गई इन्ही गलियों से...
पर बता ये मेरे दिल तू आएगी कि नहीं...
मैं बैठा रहा इन्ही रास्तों में सारी उम्र..... ये जिन्दगी तेरे लिए...
पर अब वो रंग कंहा जो तेरे गालों पर चडेगा...
तेरी चुनर को रंगेगा... अब वो रंग कंहा.. ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...
१. मैंने एक दिन पहले से तैयारी कर ली थी...
कि सुबह होते ही निकल जाऊंगा उसकी गलियों में...
पर बता मेरे हम दम तू कंहा मिलेगी...
मैं देखता रहा ये ही सपना सारी रात... ये मेरी जिन्दगी तेरे लिए...
२. कुछ ने गुमराह किया कि वो नहीं आएगी...
कुछ बोले आ के चली गई इन्ही गलियों से...
पर बता ये मेरे दिल तू आएगी कि नहीं...
मैं बैठा रहा इन्ही रास्तों में सारी उम्र..... ये जिन्दगी तेरे लिए...
Friday, March 11, 2011
chand
roshni me nahaaya huaa aaj chaand najar aaya hai...
safed liwaj me lipta khidkiyan se mushkuraya hai...
najar na lage use isliye aankhen band kar leta hun...
band aankon se us tak mohbaat ka salaam pahuchaya hai...
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